Varanasi: बीते 7-8 सालों में वाराणसी की तस्वीर पहले की तुलना में बहुत बदल गई है। शिक्षा, स्वच्छता, पर्यटन, चिकित्सा व अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ कई आधुनिक व्यवस्थाएं भी बनारस को दूसरे जनपद से अलग बनाती हैं लेकिन आज भी इस शहर में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर दशकों से बुनियादी सुविधाओं तक का अभाव देखने को मिलता है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते नजर आ रहे हैं।

विकास की चमक से दूर, बजरडीहा की बदहाल तस्वीर
ऐसा ही एक इलाका है बजरडीहा.. पतली गलियों में बजबजाती नालियाँ, जगह-जगह कूड़े के ढेर, और जाम हुए सीवर यहां के “विकास की गवाही” दे रहे हैं। वाराणसी, जो देश के प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है, उसे क्योटो बनाने के वादे हुए थे। मगर बजरडीहा (Varanasi) में हालात ऐसे हैं कि लोग क्योटो तो दूर, सामान्य जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। सीवर का पानी सड़कों और गलियों में बह रहा है।
इससे गुजरते हुए बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग हर दिन नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को गुहार लगाते-लगाते जनता थक चुकी है, लेकिन जवाब में सिर्फ आश्वासन और वादों की घिसी-पिटी किताब से पन्ने सुनाए जाते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि “बजरडीहा स्मार्ट सिटी के सपनों का ऐसा कोना है, जहां स्मार्टनेस ने कभी कदम नहीं रखा।”

आलम ये हो गया है कि एक तरफ सीवर बजबजा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लोगों की लाचारी और बेबसी साफ़-साफ़ नजर आ रहे हैं। बच्चों हो या बूढ़े, पुरुष हो या फिर महिलाएं सभी उस गंदे पानी से होते हुए अपने अपने काम और फिर काम से वापस घर को लौट रहे हैं। इस स्थिति पर यूँ कहा जा सकता है कि वाराणसी (Varanasi) में नगर-निगम के अधिकारी कागज पर व्यवस्थाओं को ठीक दिखाकर अपनी पीठ भले ही थपथपा रहे हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

बजरडीहा के निवासियों का दर्द और नगर निगम की व्यवस्थाओं का सच
लोगों का कहना है कि कई साल से सीवर की समस्या बनी हुई है। पार्षद महोदय जीतने के बाद मुंह तक दिखाने नहीं आते हैं। नारकीय जीवनयापन कर रही जनता (Varanasi) का हाल बेहाल है। चौराहे से लेकर सभी के घर के बाहर इस प्रकार की स्थिति है कि इसकी बात ही क्या की जाए। कई घरों में तो मलजल तक घुस गया है। इस क्षेत्र की स्थिति जानने के लिए हमारी जन्संदेश की टीम वहां पहुंची। आइये जानते हैं इस क्षेत्र की समस्याओं की कहानी यहाँ रहने वाले लोगों की जुबानी…

क्षेत्र के रहने वाले शकील अहमद ने बताया कि सीवर के पानी काफी समय से यहाँ लगा हुआ है। इसकी शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है। बजरडीहा (Varanasi) के किसी भी क्षेत्र में जाइए यही स्थिति नजर आएगी। इस स्थिति से लगभग 200 से 250 मकान प्रभावित है और लोगों का जीना दुश्वार है।

वार्ड नंबर 27 के रहने वाले नसीम अंसारी ने कहा कि सिवार ओवरफ्लो होने के कारण बजरडीहा इलाके की स्थिति बत-से-बत्तर है। हमारे कारखाने बंद है। इसकी शिकायत करने के बावजूद इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

क्षेत्र निवासी मोहम्मद सुलतान का कहना रहा कि उरुष का आयोजन होना है और इस स्थित के चलते हमारा जीना दुश्वार है। उरुष में सिर्फ बनारस से ही नहीं बल्कि और भी जगहों से मौलाना आते हैं और इस स्थिति के चलते कुछ भी संभव नजर नहीं आ रहा है।

क्षेत्र के रहने वाले शमीमा खातून ने बताया कि बीते कई दिनों से सीवर का पानी हमारे घर में आ चूका है। तमाम शिकायत के बावजूद इसकी सुनवाई नहीं हो रही है। हमें प्रतिदिन इसी गंदगी के भरमार से होकर गुजरना पड़ता है, जो कि हमारे लिए बहुत मुश्किल है।

क्षेत्र के निवासी मोहम्मद मकबूल ने कहा कि पैसा देकर सीवर की सफाई करने के बाद भी इसकी सफाई ढंग से नहीं होती और जब अधिकारीयों से इसकी शिकायत करने के बाद भी इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।


बात यह है कि बनारस (Varanasi) कोई मामूली शहर नहीं है, ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, जिसे जापान का क्योटो बनाने के लिए बनारसियों को सब्जबाग दिखाया था। बनारस के कई नेताओं और अफसरों को क्योटो भेजा गया, लेकिन नतीजा वही निकला-ढाक के तीन पात। अब देखना यह होगा कि इस समस्या की कब और कौन सुध लेगा ताकि इसका निस्तारण हो सके और लोग इस नारकीय जीवन से बाहर निकलकर आराम से अपना जीवनयापन कर सकें।
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