Varanasi शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ समाजवादी नेता किशन दीक्षित ने मणिकर्णिका घाट के अधूरे पुनर्विकास को लेकर नगर प्रशासन और सरकार पर तीखा सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि दो साल पहले प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास किए गए इस परियोजना को लेकर जनता में उम्मीदें जगी थीं, लेकिन आज यह योजना ठप पड़ी है और घाट की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
किशन दीक्षित ने कहा, “मणिकर्णिका घाट(Varanasi) केवल एक श्मशान नहीं, बल्कि काशी की आत्मा है। यहां की पवित्रता, गरिमा और व्यवस्था को लेकर सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए थे। ₹18 करोड़ की लागत से बिना सरकारी खर्च के पुनर्विकास की बात कही गई थी, लेकिन आज न तो काम हुआ और न ही कोई जवाबदेही तय की गई।”
उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यदायी एजेंसी ने CSR फंड न मिलने की बात कहकर हाथ खड़े कर दिए हैं, जबकि जनता को यह बताया गया था कि रूपा फाउंडेशन इस परियोजना को पूरा करेगा। “अगर CSR फंड नहीं आया तो सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की? क्या काशी (Varanasi के सबसे पवित्र घाट के साथ यही व्यवहार होना चाहिए?”
Varanasi: क्या कहा किशन दीक्षित ने ?
किशन दीक्षित ने यह भी कहा कि यह मुद्दा केवल विकास का नहीं, बल्कि श्रद्धा और सम्मान का है। “मेरे विधानसभा क्षेत्र की जनता ने मुझसे उम्मीदें की हैं, और मैं इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठाऊंगा। मणिकर्णिका घाट (Varanasi के पुनर्विकास में हुई लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने मांग की कि नगर निगम (Varanasi और जिला प्रशासन तत्काल इस परियोजना की स्थिति स्पष्ट करें, और यदि CSR फंड नहीं आ रहा है तो सरकार स्वयं इस कार्य को अपने संसाधनों से पूरा करे।
अंत में किशन दीक्षित ने कहा, “काशी की आत्मा को अधूरा नहीं छोड़ा जा सकता। यह केवल एक घाट नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना का केंद्र है। मैं इस मुद्दे को जनता की आवाज बनाकर आगे बढ़ाऊंगा।”

