Varanasi: वाराणसी की ऐतिहासिक दालमंडी इलाके में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर विस्तार परियोजना के तहत ध्वस्तीकरण अभियान एक बार फिर गति पकड़ने वाला है। आज शाम से प्रभावित दुकानों और मकानों को गिराने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जबकि मंगलवार से बड़े पैमाने पर दुकानों को ढहाने का काम आरंभ होगा। जिला प्रशासन ने तैयारी के तौर पर सभी प्रभावित दुकानों की बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बंद कर दी है, ताकि कोई अवरोध न हो। इस पूरे अभियान में 187 मकान मालिकों को कुल लगभग 191 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया जा रहा है, जो सरकार की ओर से पुनर्वास और सहायता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
रविवार को हुआ था ध्वस्तीकरण
यह कार्रवाई रविवार शाम से ही शुरू हो चुकी थी, जब प्रशासन ने एक दुकान के ऊपर बने दो मंजिला हिस्से को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। रविवार शाम करीब 5 बजे से रात 9 बजे तक चले इस ऑपरेशन में 8 मजदूरों ने लगातार 4 घंटे तक हथौड़ों और अन्य उपकरणों से काम किया। अब उस दुकान के बचे हुए हिस्से को आज ही गिराया जाएगा, जिससे (Varanasi) इलाके में तनाव का माहौल और गहरा गया है। व्यापारी समुदाय में आक्रोश है, क्योंकि दालमंडी सदियों पुरानी व्यावसायिक धरोहर है, जहां सैकड़ों परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है।

सांसद वीरेंद्र सिंह करीब 100 समर्थकों के साथ बैठे धरने पर
इसी बीच, राजनीतिक हलचल भी जोर पकड़ रही है। चंदौली से समाजवादी पार्टी (सपा) (Varanasi) के सांसद वीरेंद्र सिंह ने दालमंडी के प्रभावित व्यापारियों से मुलाकात करने की घोषणा की थी। सोमवार सुबह उनके घर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया, ताकि वे बाहर न निकल सकें। हालांकि, सांसद अपने इरादे पर अड़े रहे और घर से निकलते ही पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसके विरोध में वीरेंद्र सिंह करीब 100 समर्थकों के साथ वाराणसी की टैगोर कॉलोनी अर्दली बाजार में ही सड़क पर धरने पर बैठ गए। धरने के दौरान उन्होंने जोरदार तरीके से सरकार पर हमला बोला।
सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा, “हम दालमंडी (Varanasi) जरूर जाएंगे और व्यापारियों के साथ खड़े होंगे। सरकार न तो रोजगार दे पा रही है और न ही कारोबार बचाने में रुचि दिखा रही। बल्कि, वह लोगों की आजीविका छीन रही है। यह अन्याय है, और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उनके समर्थकों ने नारे लगाते हुए प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिससे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और सख्त हो गई।

घटना स्थल पर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) सिटी आलोक वर्मा, डीसीपी वरुण जोन प्रमोद कुमार, एसीपी कैंट नितिन तनेजा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। अधिकारियों ने व्यापारियों और प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की, साथ ही मुआवजे की प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से पूरा करने का आश्वासन दिया। प्रशासन का कहना है कि यह ध्वस्तीकरण (Varanasi) कॉरिडोर परियोजना का हिस्सा है, जो वाराणसी को विश्व स्तरीय धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इससे न केवल मंदिर परिसर का विस्तार होगा, बल्कि इलाके में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित होगी।
हालांकि, दालमंडी के व्यापारी लंबे समय से इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। उनका तर्क है कि मुआवजा पर्याप्त नहीं है और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। कई दुकानदारों ने बताया कि उनके पूर्वजों ने यहां पीढ़ियों से कारोबार किया है, और अब सब कुछ खत्म हो रहा है। दूसरी ओर, स्थानीय निवासी और पर्यटक इस परियोजना को सकारात्मक मान रहे हैं, क्योंकि इससे वाराणसी (Varanasi) की पुरानी छवि बदलेगी और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
Varanasi भारी पुलिस बल तैनात
आज शाम की कार्रवाई में भारी मशीनरी और पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। प्रशासन ने आसपास के इलाकों में ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था की है, ताकि आम जनजीवन प्रभावित न हो। सोमवार से शुरू होने वाले बड़े ध्वस्तीकरण में और अधिक संपत्तियों को लक्ष्य बनाया जाएगा। यह पूरा अभियान कितने दिनों तक चलेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन जिला अधिकारियों का दावा है कि सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है।
वाराणसी (Varanasi) में यह मुद्दा अब राजनीतिक रंग ले चुका है। सपा सहित अन्य विपक्षी दल इसे सरकार की तानाशाही करार दे रहे हैं, जबकि सत्तारूढ़ दल इसे विकास का प्रतीक बता रहा है। आने वाले दिनों में और प्रदर्शन या बातचीत की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल, दालमंडी की सड़कें तनाव और अनिश्चितता से भरी हुई हैं, जहां एक तरफ बुलडोजर की गूंज है, तो दूसरी तरफ विरोध की आवाजें।

