करवाचौथ के दिन काशी (Varanasi) के चेतगंज क्षेत्र में पारंपरिक नक्कटैया मेले का भव्य आयोजन हुआ, जहां शूर्पणखा की नाक काटने की लीला का मंचन हुआ। भगवान राम, लक्ष्मण और शूर्पणखा की यह पौराणिक झांकी देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। करीब चार किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस ऐतिहासिक मेले में 11 घंटे तक धार्मिक झांकियां, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और लोक कार्यक्रम चलते रहे।



Varanasi: 70 झांकियां रही मेले की खासियत
इस वर्ष मेले की खासियत रही 70 झांकियां, जिनमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’, ‘ट्रंप टैरिफ’ और मराठी फिल्म ‘छावा’ पर आधारित विशेष प्रस्तुतियां शामिल थीं, जो धार्मिकता के साथ-साथ समसामयिक सामाजिक और राजनीतिक संदेश भी दे रही थीं।




मेले की शुरुआत आज से लगभग 139 वर्ष पूर्व स्वतंत्रता संग्राम के दौरान फतेह राम बाबा ने की थी। उस समय अंग्रेजी शासन के खिलाफ जनजागरण के उद्देश्य से इस धार्मिक आयोजन का रूप दिया गया, ताकि अंग्रेजों की नजर में यह केवल धार्मिक मेला (Varanasi) लगे, जबकि इसके माध्यम से समाज को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया जा सके। नक्कटैया मेले की झांकियां उस दौर में अंग्रेजी अत्याचारों का प्रतीक बन गई थीं।




समिति अध्यक्ष अजय गुप्ता के अनुसार, समय के साथ झांकियों का स्वरूप भी बदला है—अब इनमें धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ सामाजिक सुधार और मौजूदा परिस्थितियों पर संदेश भी झलकते हैं। धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक परंपरा और देशभक्ति के रंगों में सजा नक्कटैया मेला आज भी काशी की जीवंत विरासत का प्रतीक बना हुआ है।