डॉ.दरबारी लाल अस्थाना जन्मोत्सव पर सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने का संदेश नाटक से नो टू प्लास्टिक के माध्यम से दिया जाएगा

लखनऊ । भारतीयम् संस्था द्वारा वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना का जन्मोत्सव समारोह, 5 अगस्त को प्रकृति संरक्षण संदेश के साथ, स्थानीय विकास नगर स्थित राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में मनाया जाएगा। इस अवसर पर सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने का संदेश नाटक से नो टू प्लास्टिक के माध्यम से दिया जाएगा। खास बात यह है कि इस प्रस्तुति के सभी अभिनेता देखने में अक्षम हैं।
रत्ना अस्थाना के निर्देशन में यह प्रस्तुति “नैब” संस्था के सहयोग से सुबह 8 बजे विद्यालय परिसर में होगी। इसके साथ ही राष्ट्रीयता पर विद्यालय स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसमें जूनियर वर्ग का विषय “भारतीय प्रांत और राष्ट्रीयता” है जबकि सीनियर वर्ग का “जी 20” है। इस अवसर पर समाज सेवियों और कलाकारों का अभिनंदन भी किया जाएगा।

रविवार को हुई आयोजन सम्बंधी बैठक में संयोजिका शुभ्रा अस्थाना ने सत्याग्रही डॉ.दरबारी लाल अस्थाना के बारे में बताया कि वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना का जन्म 24 जुलाई 1905 को आगरा में हुआ था। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान राजकीय कॉलेज आगरा में बहिष्कार आन्दोलन से वह राष्ट्र सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हुए। वृंदावन के प्रेम महाविद्यालय में उन्होंने ग्रामोत्थान का कार्य किया और ब्रज के अनेक गांवों का दौरा कर आम लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगायी। शान्ति निकेतन में अध्ययन के दौरान गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें एक कलम भी आशीर्वाद स्वरूप भेंट की थी।
युसुफ मेहर अली द्वारा संचालित अखिल भारतीय युवक आंदोलन के संचालन में भी वह सक्रिय रहे। सिंधी समाज के आध्यात्मिक गुरु श्रीयुत टी.एल.वासवानी का भी उन्हें सानिध्य मिला। साल 1930 में वृंदावन के प्रेम महाविद्यालय के छात्रों के साथ जब वह सत्याग्रह आन्दोलन कर रहे थे तब उन्हें 9सी-12 धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। 4 अगस्त 1930 को उनको छह महीने के कठोर कारावास का दंड सुनाया गया। 11 अक्टूबर 1930 में उन्हें मथुरा जेल से सीतापुर जेल में ट्रांसफर कर दिया गया। डॉ.दरबारी लाल अस्थाना ने शक्ति आश्रम का संचालन भी किया।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने देहरादून में रहकर मेडिकल की प्रैक्टिस की। साल 1953 के बाद वह लखनऊ आ गए और 1954 से उन्होंने उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि लखनऊ केंद्र के संचालक के रूप में लम्बे समय तक कार्य किया। वह उत्तर प्रदेश हरिजन सेवक संघ की कार्यकारिणी और संयुक्त सदाचार समिति कार्यकारिणी के भी सदस्य रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें 15 अगस्त 1972 को ताम्रपत्र से सम्मानित किया था। 3 मार्च 1985 को 80 वर्ष की आयु में डॉ.दरबारी लाल का स्वर्गवास हुआ था। देश के भविष्य बच्चे उनको सबसे प्रिय थे।
लखनऊ के सरोजनीनगर आपका विधायक आपके द्वार कार्यक्रम के तहत जनसुनवाई व निशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित