Dalmandi News: बदलाव की आहट जब दस्तक देती है, तो वह सिर्फ दीवारें नहीं, सोचें भी बदल देती है। बनारस की तंग गलियों में बसी दालमंडी से जुड़ी एक कहानी कुछ ऐसी भी है, जो एक ऐसी दास्तां बयां करती हैं कि अगर इरादा नेक हो और दिशा सही, तो नामुमकिन भी मुमकिन हो सकता है। बात हो रही है दालमंडी के उस जहां बूचड़खाने की, जिसकी जगह अब बन रहा एक अस्पताल…

जी हां, जिस ज़मीन पर कभी ज़िंदगियों को छीना जाता था, अब वहीं पर जिंदगियां बचाने की तैयारियां (Dalmandi News) अब अपने अंतिम चरण में है। एक महीने के अन्दर-अन्दर यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनकर तैयार हो जाएगा। यह पहल सिर्फ एक जगह के बदलने की नहीं है, ये उस सोच के बदलने की फल है, जो कहती है कि अगर नेकी साथ हो और नियत साफ़ हो तो सब कुछ संभव है।

तंग गलियों में बसी दालमंडी में बड़ा बदलाव
दालमंडी (Dalmandi News) का बूचड़खाना, जो सालों तक एक बदनाम पहचान के साथ जानी जाती थी। यह एक ऐसी जगह रही, जो पशुओं की चीखों से सुबह-शाम गूंजता था। तंग गलियों में स्थित यह बूचड़खाना आज अपनी तस्वीर बदल रहा। जहाँ कभी पशुओं के कटने की आवाजें, पानी की तरह बहता खून, बदबू व बीमारियों का डर और भिनभिनाती मच्छरों का राज होता था, वहां अब लोगों को जीवनदान मिलेगा। बूचड़खाने की जगह बन रहा यह अस्पताल अब एक नई सुबह, एक नई उम्मीद और नई सोच का प्रतीक बन गया है।

Dalmandi News: लोगों ने किया था जमकर विरोध
एक ऐसा अस्पताल, जो प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगा। इस अस्पताल के निर्माण में लाखों रुपये की लागत लग रही। हालांकि, जब इस पहल की शुरुआत हुई, तो स्वाभाविक रूप से लोगों ने इसका जमकर विरोध भी किया। कुछ लोगों को विश्वास नहीं था कि यह सच में मुमकिन हो पाएगा। लेकिन जैसा कि कहते हैं, जब नेक इरादे और मकसद बड़ा मिल जाए, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते हैं।

जानवरों की चीखों की जगह अब गूंजेगी बच्चों की किलकारियां
इस बदलाव ने न सिर्फ एक इमारत की शक्ल बदली है, बल्कि एक मानसिकता को भी चुनौती दी है। ये सच है कि जहाँ पहले यहां जानवरों की चीखें सुनाई देती थीं, अब यहां बच्चों की किलकारियां गूंजेंगी यही तो असली बदलाव है कि जहां पहले मौत की आहट थी, अब जीवन की मुस्कान होगी।

यहां अस्पताल बनने से हजारों लोगों को नजदीक में इलाज की सुविधा मिल सकेगी। आसपास के क्षेत्रों को भी इसका लाभ मिलेगा। अब बीमारियों से लड़ने के लिए लोगों को मीलों दूर नहीं जाना पड़ेगा। बूचड़खाने (Dalmandi News) की जगह यहां बन रहे इस शानदार अस्पताल ने सभी के अंदर उम्मीद की नई किरण जगा दी है।
विशेष सुविधाओं से लैस होगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बारे में और अधिक जानने के लिए जब हमने इस प्रोजेक्ट के कांट्रेक्टर कृपा शंकर राय से बात की तो उन्होंने जनसंदेश से हुई ख़ास बातचीत में बताया कि 35 लाख की लागत से बनने वाला ये अस्पताल दालमंडी (Dalmandi News) और आसपास के हजारों लोगों के लिए वरदान साबित होगा। यहाँ इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 4 कमरे और 2 ओपीडी होंगे, जिनमें 2 महिलाओं के लिए अलग से कमरे रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यहाँ महिलाओं के प्रसव से लेकर अन्य बिमारियों का भी इलाज होगा जिसके चलते आस-पास के लोगों को कहीं दूर नहीं भटकना होगा।

आक्रोशित लोग फेंक देते थे मांस के टुकड़े
वहीं अस्पताल की नींव रखते समय किस प्रकार के विरोधों का सामना करना पड़ा इसके बारे में जानकारी देते हुए कृपा शंकर राय ने बताया कि लोगों ने इसका काफी विरोध किया लेकिन ये बहुत ही नेक और अनोखा कदम रहा जिसके चलते हम भी अपने कार्य में डटे रहे।
उन्होंने बताया कि शुरू के कई दिनों तक ऐसा हुआ कि जब हम दिन में कार्य करके घर जाते थे और सुबह साइट पर वापस आए तो देखने को मिलता था कि लोगों द्वारा यहाँ मांस के टुकड़े और अन्य गंदगियाँ फैला दी जाती थी जिसके करण मजदूर भाग जाते थे। मगर अथक प्रयासों के बाद आज स्थिति सुधर गई और ये अस्पताल (Dalmandi News) अपने तैयार होने के अंतिम चरण में है।
गौरतलब है कि बदलाव की इस कहानी से एक बात साफ हो जाती है कि विकास तब सार्थक होता है, जब वह ज़मीन से जुड़कर लोगों के जीवन में सकारात्मक असर डाले। दालमंडी (Dalmandi News) का यह उदाहरण न सिर्फ वाराणसी, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकता है। 2017 से पहले यहां ना जाने कितने पशुओं की चीखें सुनाई देती थी लेकिन अब यहां लोगों को जीवनदान और बच्चों की किलकारियां गूंजेगी।